चर्चा में :- राम मंदिर



✅मुख्य वास्तुकार – चंद्रकांत सोमपुरा , निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा।

✅डिजाइन सलाहकार – आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी चेन्नई, आईआईटी बॉम्बे, एनआईटी सूरत, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रूड़की, नेशनल जियो रिसर्च इंस्टीट्यूट हैदराबाद और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स।

✅निर्माण कंपनी – लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी)प्रोजेक्ट।

✅प्रबंधन कंपनी – टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड (TCEL)

✅मूर्तिकार – अरुण योगीराज (मैसूर), गणेश भट्ट और सत्यनारायण पांडे

✅कुल क्षेत्रफल – 70 एकड़ (70% हरित क्षेत्र)

✅मंदिर क्षेत्र – 2.77 एकड़

✅मंदिर का आयाम – लंबाई – 380 फीट।

✅चौड़ाई – 250 फीट / ऊँचाई – 161 फीट।

✅स्थापत्य शैली – भारतीय नागर शैली।

🔥वास्तुकला की मुख्य विशेषताएं – 3 मंजिलें (फर्श), 392 खंभे, 44 दरवाजे।

✅मुख्यद्वार मुख – पूर्व की ओर

✅राम मंदिर में 5 मंडपों का निर्माण हुआ है। यह मंडप कुछ इस प्रकार से हैं: नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप।

✅मंदिर की संरचना को बिजली से बचाने के लिए उसके ऊपर 200 KA लाइट अरेस्टर लगाए गए हैं।

✅ एनआईसीएमएआर मानकों के अनुसार, उपचारात्मक कार्रवाई, शॉर्ट सर्किट से संबंधित और अन्य अग्निशमन तंत्र को सक्रिय करने के लिए आईटी के साथ एकीकृत इलेक्ट्रॉनिक सेंसर और चेतावनी प्रणालियों के साथ विद्युत सर्किट प्रदान किया गया।

🍃अन्य आकर्षक बातें:

✅ मंदिर के ठीक नीचे जमीन से लगभग 2,000 फीट नीचे एक टाइम कैप्सूल रखा गया है। कैप्सूल में एक तांबे की प्लेट है जिस पर राम मंदिर, भगवान राम और अयोध्या के संबंध में प्रासंगिक जानकारी अंकित है।

नोट :- इस टाइम कैप्सूल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मंदिर की पहचान समय के साथ बरकरार रहे ताकि भविष्य में इसे भुलाया न जाए। टाइम कैप्सूल सामग्री साइबरस्पेस और विभिन्न संग्रहालयों पर अपलोड की जाती है।

✅मंदिर एक भूकंप प्रतिरोधी संरचना है, जिसकी अनुमानित आयु NICMAR मानकों के अनुसार 2500 वर्ष है।

✅मूर्तियाँ गंडकी नदी (नेपाल) से लाई गई 60 मिलियन वर्ष पुरानी शालिग्राम चट्टानों से बनी हैं।

✅ घंटा अष्टधातु (सोना, चांदी, तांबा, जस्ता, सीसा, टिन, लोहा और पारा) से बना है।

✅घंटी का वजन लगभग 2100 किलोग्राम है।

✅घंटी की आवाज 2.5 किलोमीटर की दूरी तक सुनी जा सकती है।

✅कॉम्प्लेक्स का दीर्घकालिक प्रशासन एल एंड टी द्वारा किया जाएगा।

नोट :- 40 दिन तक लगातार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। 9 नवंबर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय ने संबंधित स्थल को श्रीराम जन्मभूमि माना और 2.77 एकड़ भूमि रामलला के स्वामित्व की मानी।

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